डॉक्‍टरों का दबाव रंग लाया, ममता बनर्जी झुकी

डॉक्‍टरों का दबाव रंग लाया, ममता बनर्जी झुकी

सेहतराग टीम

बंगाल में दो जूनियर डॉक्‍टरों पर मरीज के परिजनों द्वारा जानलेवा हमला किए जाने के बाद पूरे देश के डॉक्‍टरों पर उबला रहा गुस्‍सा अब शांत होने के आसार दिख रहे हैं। बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी, जो कि पिछले तीन दिनों से जिद पर अड़ी थीं और डॉक्‍टरों की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी वो शनिवार की शाम होते-होते पूरे देश के डॉक्‍टरों के दबाव के सामने झुक गईं और उन्‍होंने डॉक्‍टरों की सभी मांगें मानने की घोषणा की है। हालांकि डॉक्‍टरों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई संबंधी मांग पर उन्‍होंने गोल-मोल जवाब दिया है इसलिए डॉक्‍टर उनकी बात मानकर काम पर लौट ही आएंगे ऐसा अभी नहीं कहा जा सकता।

डॉक्‍टरों से की अपील

शनिवार को ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर डॉक्‍टरों से अपील की कि वो काम पर लौट आएं। उन्होंने हिंसा की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस मामले में जल्द ही किसी समाधान पर पहुंचा जाएगा। उन्‍होंने डॉक्‍टरों को यह सलाह भी दी कि उन्‍हें संवैधानिक संस्‍थाओं का सम्‍मान करना चाहिए। दरअसल ममता बनर्जी ने शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन डॉक्‍टरों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया था मगर डॉक्‍टरों ने बंद कमरे में किसी भी तरह की बैठक करने से इनकार कर दिया। शनिवार को डॉक्‍टरों ने साफ कहा कि बंद कमरे में बैठक से उन्‍हें अपने प्रतिनिधियों की सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस हो रहा है इसलिए उन्‍होंने अपने प्रतिनिधि नहीं भेजे।

समाधान तलाशने का भरोसा
ममता ने कहा, 'डॉक्टरों के साथ मारपीट दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारी सरकार मामला सुलझाने का हर संभव प्रयास कर रही है। हमने डॉक्टरों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वादे के बावजूद डॉक्टर बैठक में नहीं आए। इस हड़ताल की वजह से गरीबों का इलाज नहीं हो पा रहा है। कम से कम अस्पताल में इमर्जेंसी सेवाएं जारी रखनी चाहिए। हम राज्य में एस्मा ऐक्ट लागू नहीं करना चाहते हैं।' 

सभी मांगें मानी

ममता ने कहा, 'हमने डॉक्टरों की सभी मांगें मान ली हैं। मैंने कल और आज अपने मंत्रियों, चीफ सेक्रटरी को डॉक्टरों से मिलने के लिए भेजा था, उन्होंने डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए 5 घंटे तक इंतजार किया, लेकिन वे नहीं आए। आपको संवैधानिक संस्था को सम्मान देना होगा। हमने एक भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया। हम किसी तरह का बल प्रयोग नहीं करेंगे। स्वास्थ्य सेवाएं इस तरह जारी नहीं रह सकतीं। मैं कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करने जा रही हूं।' 
ममता ने कहा, 'राज्य सरकार जल्द से जल्द सामान्य चिकित्सा सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। 10 जून की घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। हम लगातार समाधान तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। मैं सभी डॉक्टरों से फिर से काम शुरू करने की अपील करती हूं, क्योंकि हजारों लोग मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए इंतजार कर रहे हैं।' उन्‍होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार आवश्यक कदम उठाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। राज्य ने निजी अस्पताल में भर्ती जूनियर डॉक्टर के मेडिकल ट्रीटमेंट के सभी खर्चों को वहन करने का निर्णय लिया है।

राज्‍यपाल से मिलीं ममता

इससे पहले ममता सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उन्हें डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया करने के लिए तत्काल कदम उठाने और राज्य भर में जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन से पैदा हुए गतिरोध का समाधान तलाशने की सलाह दी। बनर्जी ने बाद में कहा कि उन्होंने राज्यपाल से बात की और उन्हें अस्पतालों में गतिरोध को हल करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। त्रिपाठी ने ममता को सलाह दी कि वह डॉक्टरों की सुरक्षा इंतजाम के बारे में उन्हें (डॉक्टरों को) भरोसे में लें। साथ ही, उन पर हुए हमले की घटनाओं की जांच में हुई प्रगति को लेकर भी उन्हें भरोसे में लें।

गौरतलब है कि त्रिपाठी ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने डॉक्टरों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

हर्षवर्धन ने कानून बनाने की हिमायत की

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को किसी भी तरह की हिंसा से बचाने के लिए राज्यों से विशेष कानून लाने पर विचार करने को कहा है। पश्चिम बंगाल में चिकित्सकों पर हुए हालिया हमले के मद्देनजर हर्षवर्द्धन ने यह बात कही। 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों को एक पत्र के साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा मुहैया किया गया मसौदा अधिनियम - चिकित्सा सेवा जन एवं चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति को क्षति या नुकसान से रोक) अधिनियम, 2017- की एक प्रति भी संलग्न की। उन्होंने डॉक्टरों पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मुद्दे पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का ध्यान आकृष्ट किया। 
आईएमए द्वारा चार दिनों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुक्रवार से शुरू किए जाने और अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून लाने की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग किए जाने के बाद हर्षवर्द्धन ने यह कदम उठाया है। 

उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सात जुलाई 2017 को राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें एक अंतर-मंत्रालय कमेटी के फैसले का उल्लेख किया गया था। आईएमए द्वारा उठाए गए मुद्दों की समीक्षा के लिए मंत्रालय ने यह कमेटी गठित की थी। उन्होंने कहा, ‘चूंकि पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सूची के विषय हैं, इसलिए भारत सरकार ने कई मौकों पर एक मजबूत आपराधिक न्याय प्रणाली की ओर राज्य सरकारों का ध्यान आकृष्ट किया है, जिसमें अपराध की रोकथाम और नियंत्रण पर जोर दिया गया है।’ 

बैठक में नहीं गए डॉक्‍टर

इससे पहले, हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका जताते हुए राज्य सचिवालय में ममता बनर्जी के साथ शनिवार को बंद कमरे में बैठक का आमंत्रण ठुकरा दिया और कहा कि मुख्यमंत्री को गतिरोध दूर करने के उद्देश्य से खुले में चर्चा के लिए एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आना चाहिए। उन्होंने कहा कि शनिवार की शाम में राज्य सचिवालय में बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक में आंदोलनकारी डॉक्टरों का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के एक प्रवक्ता ने संगठन की संचालन इकाई की बैठक के बाद कहा, ‘हम बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और मुख्यमंत्री के साथ बंद कमरे में अपने प्रतिनिधियों की बैठक को लेकर आशंकित हैं। इसीलिए हम बैठक में शामिल होने के लिए अपने किसी भी प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं भेज रहे हैं।’ 

इस अस्पताल में सोमवार की रात एक रोगी की मौत हो गई थी जिसके परिजन ने कथित तौर पर डॉक्टरों से मारपीट की थी। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मुख्यमंत्री से विनम्र निवेदन करते हैं कि वह हम एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मिल कर चर्चा करें और हमारी सभी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करें।’

इस्‍तीफे का दौर जारी
इस बीच, प्रदर्शनकारी सहकर्मियों के समर्थन में वरिष्ठ डॉक्टरों के इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है। राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों के 300 से अधिक डॉक्टरों ने अपनी सेवा से त्यागपत्र दे दिया है।

48 घंटे का अल्टीमेटम

बंगाल के डॉक्‍टरों को समर्थन दे रहे दिल्ली स्थित एम्स और सफदरजंग अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के आंदोलनकारी डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐसा न होने पर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। ये डॉक्‍टर शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल पर थे।
17 को हड़ताल
पश्चिम बंगाल में अपने सहयोगियों पर हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 जून को हड़ताल का आह्वान किया है।

दिल्‍ली में विरोध जारी

दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर ने कोलकाता के अपने हड़ताली सहयोगियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। ये डाक्टर शुक्रवार की देशव्यापी हड़ताल में शामिल नहीं हो सके थे। केंद्र सरकार द्वारा संचालित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों के अलावा दिल्ली सरकार के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल और डीडीयू अस्पताल के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार किया और विरोध प्रदर्शन किया। इन अस्पतालों के आईसीयू और आपातकालीन सेवा चालू है।

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